BA Semester-5 Paper-1 Ancient Indian History - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर समूह
लोगों की राय

प्राचीन भारतीय और पुरातत्व इतिहास >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2793
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- श्रेणियों के क्रिया-कलापों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर-

प्राचीन साहित्य तथा लेखों से स्पष्ट होता है कि श्रेणी संगठनों का कार्य मात्र आर्थिक क्षेत्र तक ही सीमित नहीं था, अपितु सामाजिक, धार्मिक एवं जन-कल्याण के कार्यों को भी सम्पन्न करते थे। आर्थिक क्षेत्र में वे देश के व्यापार, वाणिज्य एवं व्यवसाय का संचालन करते थे। आन्तरिक तथा बाह्य व्यापार का नियन्त्रण उन्हीं के हाथ में था। क्रय-विक्रय की वस्तुओं पर वे दृष्टि रखते थे तथा बाजारों में मूल्य निर्धारित करते थे। श्रेणियों के पास अपने कोष तथा अपनी मुद्रायें होती थीं। श्रेणियों के सदस्य आर्थिक दृष्टि से अत्यन्त सम्पन्न होते थे। श्रावस्ती के अनाथपिण्डक तथा कौशाम्बी के घोषित जैसे नगर सेठि करोड़पति थे। श्रेणियाँ अपने सदस्यों के व्यक्तिगत तथा सामूहिक व्यापार में सहायता देती थीं। व्यापारी उनसे ऋण के रूप में धन प्राप्त करके व्यापार में लगाते थे तथा ब्याज सहित उसे वापस करते थे। कभी-कभी सदस्य श्रेणियों से माल भी प्राप्त करते थे। श्रेणियाँ बैंकों का भी कार्य करती थीं। इस रूप में वे अपने सदस्यों से धनराशि प्राप्त करती तथा फिर ब्याज सहित उन्हें वापस करती थीं। नासिक लेख से पता चलता है कि शकक्षत्रप नहपान के दामाद उषावदात ने तन्तुवाय श्रेणी के पास तीन हजार कार्षापण जमा किया था। उसमें दो हजार, एक कार्षापण प्रति सैकड़ा वार्षिक ब्याज की दर पर जमा था तथा एक हजार कार्षापण का ब्याज दर तीन- चौथाई पण था। श्रेणियों द्वारा धार्मिक तथा लोक कल्याण के कार्य भी समय-समय पर सम्पन्न किये जाते थे। इनके द्वारा मठों, मन्दिरों एवं मूर्तियों का निर्माण करवाया गया तथा प्रभूत धन दान दिया गया। जुन्नार लेख से पता चलता है कि अन्न विक्रेताओं की एक श्रेणी ने वहाँ एक गुफा तथा कुण्ड दान में दिया था।

श्रेणियों को न्यायिक अधिकार भी प्राप्त थे तथा उनके अपने न्यायालय होते थे। ये अपने सदस्यों के आपसी विवादों का फैसला करने तथा अपराधी होने की स्थिति में दण्ड लगा सकते थे। श्रेणियाँ अपने सदस्यों के आचरण पर अंकुश रखती थी।

श्रेणियों की समृद्धि तथा प्रतिष्ठा बढ़ने पर उन्हें सेना रखने का अधिकार भी प्राप्त हो गया। अर्थशास्त्र में “ श्रेणीबल" का उल्लेख मिलता है। कौटिल्य ने श्रेणी को सैनिकों के उस वर्ग के साथ रखा है जो शत्रुओं के आक्रमण को रोकने के लिए होता था।

श्रेणियाँ अपनी मुद्रायें भी प्रचलित करवाती थीं। नालन्दा, कौशाम्बी, वैशाली, आदि से उनकी मुद्रायें मिलती हैं। प्रयाग के समीप भीटा नामक स्थान की खुदाई से मौर्यन ब्राह्मी में 'सहजाति निगमस्' अंकित एक मिट्टी की मुद्रा मिली है जिससे सूचित होता है कि इस स्थान पर व्यापारियों की एक श्रेणी थी।

इस प्रकार प्राचीन भारत में श्रेणी संगठन अत्यन्त समृद्ध, सुसंगठित एवं शक्तिशाली थे। ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी से लेकर सातवीं शताब्दी ई. तक उनका पर्याप्त विकास हुआ। शासन तथा समाज दोनों में उनकी काफी प्रतिष्ठा थी। राजपूतों के समय में सामन्तवाद अपने विकास की पराकाष्ठा पर था। इससे श्रेणियों की शक्ति का उत्तरी भारत में ह्रास हुआ, किन्तु दक्षिणी भारत में उनका विकास होता रहा। पल्लवों तथा चोलों के समय में सुदूर दक्षिण में श्रेणियाँ सक्रिय थीं। लेखों तथा साहित्य में नानादेशि, नगरम् आदि श्रेणियों का उल्लेख मिलता है। उनके पास अपनी सेना होती थी तथा वे स्थानीय शासन में भाग लेती थीं। प्राचीन भारत के आर्थिक जीवन को सुविकसित करने में श्रेणी संगठनों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। इनकी तुलना कुछ अंशों में आधुनिक 'इण्डियन चैम्बर ऑफ कामर्स' से की जा सकती है।

...पीछे | आगे....

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- वर्ण व्यवस्था से आप क्या समझते हैं? भारतीय दर्शन में इसका क्या महत्व है?
  2. प्रश्न- जाति प्रथा की उत्पत्ति एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- जाति व्यवस्था के गुण-दोषों का विवेचन कीजिए। इसने भारतीय
  4. प्रश्न- ऋग्वैदिक और उत्तर वैदिक काल की भारतीय जाति प्रथा के लक्षणों की विवेचना कीजिए।
  5. प्रश्न- प्राचीन काल में शूद्रों की स्थिति निर्धारित कीजिए।
  6. प्रश्न- मौर्यकालीन वर्ण व्यवस्था पर प्रकाश डालिए। .
  7. प्रश्न- वर्णाश्रम धर्म से आप क्या समझते हैं? इसकी मुख्य विशेषताएं बताइये।
  8. प्रश्न- पुरुषार्थ क्या है? इनका क्या सामाजिक महत्व है?
  9. प्रश्न- संस्कार शब्द से आप क्या समझते हैं? उसका अर्थ एवं परिभाषा लिखते हुए संस्कारों का विस्तार तथा उनकी संख्या लिखिए।
  10. प्रश्न- सोलह संस्कारों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में संस्कारों के प्रयोजन पर अपने विचार संक्षेप में लिखिए।
  12. प्रश्न- प्राचीन भारत में विवाह के प्रकारों को बताइये।
  13. प्रश्न- प्राचीन भारत में विवाह के अर्थ तथा उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए तथा प्राचीन भारतीय विवाह एक धार्मिक संस्कार है। इस कथन पर भी प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- परिवार संस्था के विकास के बारे में लिखिए।
  15. प्रश्न- प्राचीन काल में प्रचलित विधवा विवाह पर टिप्पणी लिखिए।
  16. प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में नारी की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  17. प्रश्न- प्राचीन भारत में नारी शिक्षा का इतिहास प्रस्तुत कीजिए।
  18. प्रश्न- स्त्री के धन सम्बन्धी अधिकारों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- वैदिक काल में नारी की स्थिति का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- ऋग्वैदिक काल में पुत्री की सामाजिक स्थिति बताइए।
  21. प्रश्न- वैदिक काल में सती-प्रथा पर टिप्पणी लिखिए।
  22. प्रश्न- उत्तर वैदिक में स्त्रियों की दशा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  23. प्रश्न- ऋग्वैदिक विदुषी स्त्रियों के बारे में आप क्या जानते हैं?
  24. प्रश्न- राज्य के सम्बन्ध में हिन्दू विचारधारा का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- महाभारत काल के राजतन्त्र की व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- प्राचीन भारत में राज्य के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- राजा और राज्याभिषेक के बारे में बताइये।
  28. प्रश्न- राजा का महत्व बताइए।
  29. प्रश्न- राजा के कर्त्तव्यों के विषयों में आप क्या जानते हैं?
  30. प्रश्न- वैदिक कालीन राजनीतिक जीवन पर एक निबन्ध लिखिए।
  31. प्रश्न- उत्तर वैदिक काल के प्रमुख राज्यों का वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- राज्य की सप्त प्रवृत्तियाँ अथवा सप्तांग सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
  33. प्रश्न- कौटिल्य का मण्डल सिद्धांत क्या है? उसकी विस्तृत विवेचना कीजिये।
  34. प्रश्न- सामन्त पद्धति काल में राज्यों के पारस्परिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- प्राचीन भारत में राज्य के उद्देश्य अथवा राज्य के उद्देश्य।
  36. प्रश्न- प्राचीन भारत में राज्यों के कार्य बताइये।
  37. प्रश्न- क्या प्राचीन राजतन्त्र सीमित राजतन्त्र था?
  38. प्रश्न- राज्य के सप्तांग सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार राज्य के प्रमुख प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- क्या प्राचीन राज्य धर्म आधारित राज्य थे? वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- मौर्यों के केन्द्रीय प्रशासन पर एक लेख लिखिए।
  42. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
  43. प्रश्न- अशोक के प्रशासनिक सुधारों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  44. प्रश्न- गुप्त प्रशासन के प्रमुख अभिकरणों का उल्लेख कीजिए।
  45. प्रश्न- गुप्त प्रशासन पर विस्तृत रूप से एक निबन्ध लिखिए।
  46. प्रश्न- चोल प्रशासन पर एक निबन्ध लिखिए।
  47. प्रश्न- चोलों के अन्तर्गत 'ग्राम- प्रशासन' पर एक निबन्ध लिखिए।
  48. प्रश्न- लोक कल्याणकारी राज्य के रूप में मौर्य प्रशासन का परीक्षण कीजिए।
  49. प्रश्न- मौर्यों के ग्रामीण प्रशासन पर एक लेख लिखिए।
  50. प्रश्न- मौर्य युगीन नगर प्रशासन पर प्रकाश डालिए।
  51. प्रश्न- गुप्तों की केन्द्रीय शासन व्यवस्था पर टिप्पणी कीजिये।
  52. प्रश्न- गुप्तों का प्रांतीय प्रशासन पर टिप्पणी कीजिये।
  53. प्रश्न- गुप्तकालीन स्थानीय प्रशासन पर टिप्पणी लिखिए।
  54. प्रश्न- प्राचीन भारत में कर के स्रोतों का विवरण दीजिए।
  55. प्रश्न- प्राचीन भारत में कराधान व्यवस्था के विषय में आप क्या जानते हैं?
  56. प्रश्न- प्राचीनकाल में भारत के राज्यों की आय के साधनों की विवेचना कीजिए।
  57. प्रश्न- प्राचीन भारत में करों के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
  58. प्रश्न- कर की क्या आवश्यकता है?
  59. प्रश्न- कर व्यवस्था की प्राचीनता पर प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- प्रवेश्य कर पर टिप्पणी लिखिये।
  61. प्रश्न- वैदिक युग से मौर्य युग तक अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्व की विवेचना कीजिए।
  62. प्रश्न- मौर्य काल की सिंचाई व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  63. प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि पर टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- वैदिक काल में सिंचाई के साधनों एवं उपायों पर एक टिप्पणी लिखिए।
  65. प्रश्न- उत्तर वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिए।
  66. प्रश्न- भारत में आर्थिक श्रेणियों के संगठन तथा कार्यों की विवेचना कीजिए।
  67. प्रश्न- श्रेणी तथा निगम पर टिप्पणी लिखिए।
  68. प्रश्न- श्रेणी धर्म से आप क्या समझते हैं? वर्णन कीजिए
  69. प्रश्न- श्रेणियों के क्रिया-कलापों पर प्रकाश डालिए।
  70. प्रश्न- वैदिककालीन श्रेणी संगठन पर प्रकाश डालिए।
  71. प्रश्न- वैदिक काल की शिक्षा व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  72. प्रश्न- बौद्धकालीन शिक्षा व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए वैदिक शिक्षा तथा बौद्ध शिक्षा की तुलना कीजिए।
  73. प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा के प्रमुख उच्च शिक्षा केन्द्रों का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- "विभिन्न भारतीय दार्शनिक सिद्धान्तों की जड़ें उपनिषद में हैं।" इस कथन की विवेचना कीजिए।
  75. प्रश्न- अथर्ववेद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book